tag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post7564525333253578942..comments2024-03-23T15:42:05.574+05:30Comments on अमित शर्मा: नारी मुक्ति का प्रतीकAmit Sharmahttp://www.blogger.com/profile/15265175549736056144noreply@blogger.comBlogger25125tag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-4749996231975783402010-06-24T21:16:33.281+05:302010-06-24T21:16:33.281+05:30अमित जी, आपसे केवल एक गलती हुयी है ...........आपने...अमित जी, आपसे केवल एक गलती हुयी है ...........आपने अपने मन की बात को मानते हुए सत्य लिखने की हिमाकत करी है ! और हम लोगो से यह गलती हो रही है कि हम आपसे सहमत है !शिवम् मिश्राhttps://www.blogger.com/profile/07241309587790633372noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-27480823459202648242010-06-24T19:38:58.796+05:302010-06-24T19:38:58.796+05:30दरअसल जिनमें नारीत्व नहीं है वे ही ऐसी बदअमनी फैला...दरअसल जिनमें नारीत्व नहीं है वे ही ऐसी बदअमनी फैलाए हुए है ....और समय उन्हें मुआफ नहीं करेगा ..Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-70370262537635383652010-06-24T17:13:11.087+05:302010-06-24T17:13:11.087+05:30गौरव भाई टिप्पणियों के लिए नहीं कह रहा, आपकी कोई ब...गौरव भाई टिप्पणियों के लिए नहीं कह रहा, आपकी कोई बात अनावश्यक नहीं है.बस इस टिपण्णी को पढ़कर मुस्कराहट आ गयी की कैसे आप आज इतने उत्तेजित है..............<br /><br />@ तेल लेने गयी ऐसी ब्लोगिंग जिसमें सच बोलने पर प्रतिबन्ध लग जाता हैAmit Sharmahttps://www.blogger.com/profile/15265175549736056144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-73731373304362500382010-06-24T16:34:37.822+05:302010-06-24T16:34:37.822+05:30आप तो जानते हैं भावनाएं और विचार संतुलित हैं मेरे ...आप तो जानते हैं भावनाएं और विचार संतुलित हैं मेरे .... पर विचार को शब्दों में लपेट कर संतुलित ढंग से सामने कैसे रखना होता है ??<br />ये जान नहीं पाया कभी<br /><br />(कुछ टिप्पणिया अनावश्यक लगें तो मिटा दें, इस असंतुलन के लिए माफ़ी चाहता हूँ शायद सारी बातें एक साथ कहने की कोशिश में था )एक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-52075472597717753412010-06-24T15:46:07.914+05:302010-06-24T15:46:07.914+05:30गौरव भाई आज इतनी उत्तेजना किस कारण, अपने विचारों क...गौरव भाई आज इतनी उत्तेजना किस कारण, अपने विचारों को स्थायित्व देने के लिए मस्तिक्ष का स्थायित्व भी जरुरी है. बाकि आपने बिलकुल मार्के की बात कही है.......................................... नाम बताये जा रहा हूँ जो स्त्री पुरुष दोनों को बराबर नुकसान पहुचाते रहे हैं<br />१. गरीबी ( आर्थिक असमानता शामिल है इसमें )<br />२. बेरोजगारीAmit Sharmahttps://www.blogger.com/profile/15265175549736056144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-4087513026285192442010-06-24T15:21:15.585+05:302010-06-24T15:21:15.585+05:30जाते जाते कुछ दुश्मनों के नाम बताये जा रहा हूँ जो ...जाते जाते कुछ दुश्मनों के नाम बताये जा रहा हूँ जो स्त्री पुरुष दोनों को बराबर नुकसान पहुचाते रहे हैं<br />१. गरीबी ( आर्थिक असमानता शामिल है इसमें )<br />२. बेरोजगारी<br /><br />और समस्याओं को बाद में देखेंगे ( काश इन पर भी कोई प्रतिबन्ध लगाने वाला होता )<br />इन दो से आजाद हो जायेंगे तो असली स्वतंत्रता पा लेंगे ( आपस में लड़ने का कोई फायदा नहीं है)<br />जब किसी को दो वक्त की रोटी नहीं मिलती होगी तो स्वतंत्र है या परतंत्र ये कैसे पता लगता होगा उसे ??<br />वो तो हमीं लोगों से कुछ उम्मीद करता / करती होगा/होगी न की हम उसकी मदद करें<br />पर हम तो आजादी की पीछे पड़ें हैएक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-67483756111712291862010-06-24T14:59:22.973+05:302010-06-24T14:59:22.973+05:30तेल लेने गयी ऐसी ब्लोगिंग जिसमें सच बोलने पर प्रति...तेल लेने गयी ऐसी ब्लोगिंग जिसमें सच बोलने पर प्रतिबन्ध लग जाता हैएक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-11932181409633123402010-06-24T14:58:30.951+05:302010-06-24T14:58:30.951+05:30मेरे पास भी एक तरीका है अगर कोई सुनना चाहे तो सुन...मेरे पास भी एक तरीका है अगर कोई सुनना चाहे तो सुने इससे पूरी नारी जाति को स्वतंत्रता मिल जाएगी बस एक चीज है<br /><br />बता दूं ......<br /><br />" ममता की भावना मिटाने की कोई दावा हो तो पी लो "<br /><br />देखना हर समस्या का हल हो जायेगा , टोटल इंडीपेंडेंस का नारा साकार हो जायेगा<br /><br />क्योंकि लिव इन और वेलेंटाइन और तलाक जैसे महान तरीकों से जो भी परेशानियाँ सामने आती हैं...... इस ममता की वजह से ही स्त्री को झुकना पड़ता है ...इस ममता की धुरी पर ही स्त्री का निर्मल मन हमेशा से चन्द्रमा की तरह घूमता रहा है ( बच्चे और परिवार पृथ्वी के रूप में हैं )एक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-10596664916135360642010-06-24T14:50:22.016+05:302010-06-24T14:50:22.016+05:30मैं तो ये शुरू से मानता हूँ की भारत के समाज में ( ...मैं तो ये शुरू से मानता हूँ की भारत के समाज में ( अंग्रेजी सभ्यता के प्रवेश के बाद से ) स्त्रियों की स्थिति दोयम दर्जे की है<br />एक बार पूरी संस्कृति मलिन हो जाये तो बस एक ही दर्जा रह जायेगा प्रोडक्ट का ( जैसा अभी है विकासशील देशों में )एक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-79214021789638000282010-06-24T14:44:57.721+05:302010-06-24T14:44:57.721+05:30मेरे विचारों में बेरोजगार पुरुष भी उतना भी बड़ा अब...मेरे विचारों में बेरोजगार पुरुष भी उतना भी बड़ा अबला है जितना की घर में बंद स्त्री<br />समाज की बात करें ?? वो तो किसी को नहीं छोड़ता , पुरुषों का भी अपमान उतने ही तरीके से करता है जितना की स्त्रियों का , पर समाज बना किनसे है???? हमीं लोगों से....एक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-74736136826100370592010-06-24T14:40:49.478+05:302010-06-24T14:40:49.478+05:30ये परंपरा तो शुरू से रही है की हम "तुरंत आजाद...ये परंपरा तो शुरू से रही है की हम "तुरंत आजादी" के पीछे पागल से होते रहे हैं.... होना भी लाजमी है.... पता नहीं कितने सालों से गुलाम रहे हैं<br />देश की आजादी के समय भी ज्योतिषियों ने "समय ठीक नहीं है" कहा था , इस समय आजादी लेने से देश में विभाजन का खतरा है कहा था<br />पर जल्दी थी .. शायद यही वजह है की आज हर वर्ग स्वतन्त्र होना चाहता है ... पर स्वतंत्र हो कर जाना कहाँ है ????एक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-76983912964607560262010-06-24T14:31:58.133+05:302010-06-24T14:31:58.133+05:30आजकल व्यस्तता बढ़ गयी है इसलिए ज्यादा नहीं बोलूँगा....आजकल व्यस्तता बढ़ गयी है इसलिए ज्यादा नहीं बोलूँगा....<br />पर इतना कहूँगा जिन्हें झूठी प्रशंसा सुनने की आदत हो जाती है सच्चाई सुनने पर उनका रिएक्शन ये ही होता है.....<br />अब ज्यादा कुछ कहने का कोई फायदा नहीं लगता....<br />अवांछित स्वतंत्रता पर टोकने वाला (पुरुष हो या स्त्री) बुरा तो लगेगा ही .. वैसे इस प्रतिबन्ध से लम्पट लोगों को अच्छा मेसेज जायेगाएक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-24817238776516248832010-06-24T11:32:49.013+05:302010-06-24T11:32:49.013+05:30@ नागरिक जी, समीरलाल जी बस यही निवेदित करना चाहता ...@ नागरिक जी, समीरलाल जी बस यही निवेदित करना चाहता था की अपने विचार व्यक्त करने में भी दोहरी मानसिकता क्यों !!!!!<br /><br />@ नारी मुक्ति और पुरूष प्रधानता एक भ्रम एक ढकोसला है।............. सुज्ञ जी यह ढकोसला ही है.<br /><br />@ शायद कहीं से पुरुष समाज भी समानता के अधिकार को हज्म नही कर पा रहा तो कहीं यही नारी आक्रोश गलत दिशा की ओर जा रहा है।......... आदरणीया कपिलाजी आपने बिलकुल सही संकेत किया है.<br /><br />@ अरविन्दजी, गिरिजी ............... स्त्री पुरुष के आपसी समर्पण तिरोहित होने से ही वर्चस्व की मानसिकता उभरती है .<br /><br />@ विचारीजी , मौसमजी अपनी बात रखने के लिए भी अगर अपशब्दों का प्रयोग किया जाये तो समझ जाना चाहिए की विषय को समझे बिना भेड़चाली हो रही है.<br /><br />@ राजन भाई आप मेरी बात को किन्ही सिमित परिपेक्ष्यों में ना लीजिये. मैंने किसी ब्लोगर या N.G.O. का संकेत नहीं किया है, बात यहीं तो अटकती है. सिमित संख्या द्वारा कोई धतकरम किया जाता है और दोष पूरे वर्ग को. उसी तरह मैंने भी सिमित के लिए कहा है सभी के लिए नहीं.Amit Sharmahttps://www.blogger.com/profile/15265175549736056144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-88316151223851853252010-06-24T01:55:05.126+05:302010-06-24T01:55:05.126+05:30लगे रहो भाई विद्वान लोगों, कोई हल निकल आये इस मंथन...लगे रहो भाई विद्वान लोगों, कोई हल निकल आये इस मंथन पर तो हम भी ज्ञान पा लेंगे थोड़ा सा।<br />प्रिय अमिते, इतने गहरे मुद्दे पर अपनी राय रखने लायक मैं नहीं हूं, इसलिये पहले कभी कमेंट नहीं किया। पिछली पोस्ट पर चार पांच बार कमेंट करने के लिये आया भी, लेकिन चूंकि मन दीप पर गुस्सा करने का था, पोस्ट से संबंधित नहीं था इसलिये लौट गया।<br />आपके विचार कहीं भी असंयत और अशालीन नहीं लगे, पसंद आने के लिये अपने लिये इतना बहुत है। मुझे पूछना ये है आपसे और दीप से कि क्यों बेवजह दूसरे ब्लॉगर्स को हाईलाईट किया जाये? ब्लॉग मालिक को ये हक होना चाहिये कि वो अपने ब्लॉग को सभी के लिये खुला रखे या चुनिंदा लोगों को ही इंटरएक्शन का मौका दे। और दीप ने पिछली पोस्ट पर कहा कि वो अगर अपने विचार रखें तो शायद ब्लागिंग से ही प्रतिबंधित कर दिए जाते। भाई, कौन है ऐसा भाग्यविधाता, जो इतनी शक्ति रखता है? हमें भी बता दो हम भी ध्यान रखेंगे कि कोई गुस्ताखी उसकी शान में न हो जाये, आखिर हमें भी तो अपनी दुकान चलानी है :)<br />अरे बिन्दास होकर अपने विचार रखते रहो, अपन लोग हैं न पढ़ने के वास्ते।<br />इससे पहले तीस लाईनों की एक जम्बो टिप्पणी लिखकर पोस्ट करी थी, कोई एरर आ गई। दोबारा हौंसला नहीं पड़ रहा था, लेकिन लिखे बगैर भी गुजारा नहीं चल रहा था, सो लिख दिया।<br />मित्र समझकर ऐसा लिखा है, अन्यथा लगे तो इग्नोर कर देना, प्रतिबन्धित करने के बजाय ::))संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-7600371060028026402010-06-23T16:04:54.186+05:302010-06-23T16:04:54.186+05:30कहाँ ब्लॉग्गिंग कर रहे है आप लोग, उस देश में जहाँ ...कहाँ ब्लॉग्गिंग कर रहे है आप लोग, उस देश में जहाँ सत्य का गला घोंट दिया जाता है ? धिक्कारे भी किसे जब पूरा देश ही झूठ की बुनियाद पर खड़ा है ?<br />Blog has been removed<br />Sorry, the blog at sureshchiplunkar.blogspot.com has been removed. This address is not available for new blogs.<br /><br />Did you expect to see your blog here? See: 'I can't find my blog on the Web, where is it?'Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-25187855538546728222010-06-23T14:55:24.351+05:302010-06-23T14:55:24.351+05:30पिछले घटनाक्रम को देख कर मुझे बड़ा अजीब लगा. ब्लॉग...पिछले घटनाक्रम को देख कर मुझे बड़ा अजीब लगा. ब्लॉगजगत में इससे पहले भी विवाद हो चुके हैं परन्तु कहीं भी इस तरह का emotional अत्याचार नहीं हुआ. मेरी समझ से अगर यहाँ भी कोई आदमी आपनी बात को असभ्य और गाली गलौच वाली भाषा में प्रकट करता तो नारी ब्लॉग सभी के लिए खुला रहता पर जब अमित जी आपने एक सभ्य और शालीन तरीके से अपना मत रखा तो सभी को ब्लॉग से प्रतिबंधित कर दिया गया. ये निशचित रूप से एक भावुकता से भरा कदम है जिसे मैं समझता हूँ की जल्द ही वापस ले लिया जायेगा. मेरा मत है की सत्य हमेशा ही असत्य पर भरी पड़ता है चाहे असत्य को कितनी ही खूबसूरती से कहा जाये या खुबसूरत द्वारा कहा जाये. अमित जी एक बार फिर से आपने अपनी बात को बेहतरीन तरीके से कहा है. आपका धन्यवाद .VICHAAR SHOONYAhttps://www.blogger.com/profile/07303733710792302123noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-74629533069382188442010-06-23T08:54:23.206+05:302010-06-23T08:54:23.206+05:30अभी पंजाब का एक वाकया सबको पता हो गा , जंहा पर दो ...अभी पंजाब का एक वाकया सबको पता हो गा , जंहा पर दो लड़कियों ने आपस मैं शादी की है. इस शादी या आज़ादी का मतलब क्या है<br />gays are commnon in man and woman both and they have been given rights by the court . I think you should know that .Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-73084033753723796972010-06-23T07:21:06.076+05:302010-06-23T07:21:06.076+05:30नारी से पुरुष है तो पुरुष से नारी. दोनों एक दुसरे ...नारी से पुरुष है तो पुरुष से नारी. दोनों एक दुसरे के बिना अधूरे हैं. लेकिन ये जरुरी है की पुरुष अपनी मर्यादा में ही रहे और नारी अपनी मर्यादा में. निर्मला जी की बातो से सहमत हूँ की कंही न कंही औरत समाज की स्थिति दयनीय है और उसका जिम्मेदार पुरुष ही है . लेकिन वोही पुरुष समाज दूसरी तरफ महिलावो को समाज से जोड़ने में मदद भी कर रहा है. <br /><br />अगर में एक माँ का बेटा हूँ तो दो बहनों का भाई भी हूँ और एक बेटी का पिता भी हूँ तो साथ मैं पति की भूमिका मैं भी . ये मेरी जिम्मेदारी है. ठीक उसी तरह से जिम्मेदारी महिलावो की भी है. <br /><br />नारी कभी भी किसी की गुलाम नहीं रही है , ना ही कभी रहेगी. लेकिन इसका मतलब ये नहीं की नारी के अन्दर सरे गुण पुरुष की तरह हो जाय.<br /><br />अभी पंजाब का एक वाकया सबको पता हो गा , जंहा पर दो लड़कियों ने आपस मैं शादी की है. इस शादी या आज़ादी का मतलब क्या है. क्या इस से नारी या पुरुष का चरित्र साफ होता है, शायद नहीं. जिंदगी की शुरुवात सिर्फ नारी या सिर्फ पुरुष से संभव नहीं है दोनों का साथ जरुरी है. दोनों के बीच आपसी तालमेल जरुरी है. <br /><br />for more please read my blog : www.taarkeshwargiri.blogspot.comTaarkeshwar Girihttps://www.blogger.com/profile/06692811488153405861noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-89571234638576120952010-06-23T06:38:16.380+05:302010-06-23T06:38:16.380+05:30नर नारी एक दूसरे के पूरक हैं -सम्पूर्णता एक भ्रम ...नर नारी एक दूसरे के पूरक हैं -सम्पूर्णता एक भ्रम है !हाँ कतिपय मामलों में नारी तो कतिपय में पुरुष श्रेष्ठ है -उनका समन्वयन और एक दूसरे के प्रति समर्पण ही परिपूर्णता लाता है ....एक दूसरे के बिना दोनों अपूर्ण हैं !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-22884332657374191112010-06-22T23:13:02.750+05:302010-06-22T23:13:02.750+05:30Amit ji.. ...Amit ji.. aap kitne aise nariwadi sangthan,mahila bloggers ya phir mahila samarthak ngo 's ko jante hai jo ladkiyo ko j ladko ki tarah sharaab ya cigarette ke liye protsahit kar rahe hai?राजनhttps://www.blogger.com/profile/05766746760112251243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-90453307030285246772010-06-22T21:20:07.069+05:302010-06-22T21:20:07.069+05:30निससंदेह नारी की आज भी घरों मे जो दशा है वो देख कर...निससंदेह नारी की आज भी घरों मे जो दशा है वो देख कर दिल रो उठता है उसमे कहीं न कहीं पुरुश का भी उतर्दायित्वहीन होना निश्चित है। आप किसी गाँव मे जा कर देखें तब पता चलेगा कि वो पुरुश दुआरा किस तरह प्रताडित और शोषित हो रही है। लेकिन ये भी सत्य है कि हर जगह पुरुष ही दोशी नही माना जा सकता । सामाजिक वयवस्था मे दोनो के दायित्व का अपना अपना महत्व है । ये भी मानना पडेगा कि नारी मुक्ति की दशा और दिशा की4 तरफ ध्यान देने की जरूरत है। शायद कहीं से पुरुष समाज भी समानता के अधिकार को हज्म नही कर पा रहा तो कहीं यही नारी आक्रोश गलत दिशा की ओर जा रहा है। बहस मे एक दूसरे पर दोश न लगा कर उस बात की जड मे जाना चाहिये कि इस समस्या की जडें कहाँ हैं । दोनो को अपने विचार रखने का पूरा अधिकार है तभी तो समस्या का हल हो सकता है। धन्यवाद और शुभकामनायेंनिर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-92113879876475249012010-06-22T20:52:15.050+05:302010-06-22T20:52:15.050+05:30स्त्री को क्या क्या करना हैं और क्या क्या नहीं करन...स्त्री को क्या क्या करना हैं और क्या क्या नहीं करना हैं इसका फैसला उस पर ही छोड़ना ठीक हैं ।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-11756944064136463112010-06-22T20:34:51.210+05:302010-06-22T20:34:51.210+05:30विचार व्यक्त करने का अधिकार तो सभी को है.विचार व्यक्त करने का अधिकार तो सभी को है.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-514900678384277102010-06-22T20:24:09.370+05:302010-06-22T20:24:09.370+05:30नारी और पुरूष
दोनों अपने आप में विशिष्ट भी है,संप...नारी और पुरूष <br />दोनों अपने आप में विशिष्ट भी है,संपूर्ण भी है,और एक दूसरे पर निर्भर भी।<br />विशिष्ट इस लिए कि कुछ प्रकृति प्रदत्त विशेषताएं नारी में है,तो कुछ पुरुष में।<br />संपूर्ण इसलिए कि दोनों बुद्धि, कौशल, श्रम एवं कर्म का निर्वाह करने में सक्षम है।<br />विपरीत लिंग बनाकर प्रकृति ने इन्हे एक दूसरे पर निर्भर बना दिया है,<br />दोनों ही अपने कार्य का बटवारा योग्यतानुसार करके एक दूसरे के सहायक रूप निर्भर रहते है।<br />नारी मुक्ति और पुरूष प्रधानता एक भ्रम एक ढकोसला है।<br />इस भ्रम को ईंधन विकृत मानसिकता वाले मनुष्यों ने, कभी नारी पर अत्याचार करके तो कभी पुरूष पर मर्दानगी के ताने मारकर किया है।<br />इसलिए इसके लिए मात्र और संपूर्ण पुरूष जाति को दोषी ठहराना कही से भी उचित नहीं है।सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-52418337263354253002010-06-22T18:58:05.710+05:302010-06-22T18:58:05.710+05:30दोहरी मानसिकता किसी के लिये भी हितकर नहीं है..दोहरी मानसिकता किसी के लिये भी हितकर नहीं है..भारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.com