tag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post4325907141327392803..comments2024-03-23T15:42:05.574+05:30Comments on अमित शर्मा: भारतीय काल गणना ----- भारत में सूर्य,चन्द्र और पृथ्वी तीनों के भ्रमण का ध्यान रखकर पंचांग बनाया गया है।Amit Sharmahttp://www.blogger.com/profile/15265175549736056144noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-59488891417734565652012-02-17T08:37:58.396+05:302012-02-17T08:37:58.396+05:30आप शायद मेरे ब्लॉग पर आये,उसी लिंक से इस पोस्ट पर...आप शायद मेरे ब्लॉग पर आये,उसी लिंक से इस पोस्ट पर आना हुआ.<br /><br />बहुत ही सुन्दर महत्वपूर्ण जानकारी मिली यहाँ आकर.<br />जानकारीपूर्ण रोचक प्रस्तुति के लिए आभार.<br /><br />मेरे ब्लॉग पर आप आये और बिना कुछ कहे ही चले आये. <br />जहाँ आपके आने की खुशी है,कुछ न कहने की शिकायत है जी.Rakesh Kumarhttps://www.blogger.com/profile/03472849635889430725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-84358599217313209672011-04-27T07:17:42.271+05:302011-04-27T07:17:42.271+05:30जानकारी का शुक्रिया। जटिल है, ठीक से समझने के लिये...जानकारी का शुक्रिया। जटिल है, ठीक से समझने के लिये कई बार पढना पडेगा।Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-61577814120948413982011-04-24T22:57:28.291+05:302011-04-24T22:57:28.291+05:30ऐ ज्ञान-छाँटू मानव ! इस पुस्तक का नाम भी बता देते ...ऐ ज्ञान-छाँटू मानव ! इस पुस्तक का नाम भी बता देते तो हम खरीद कर पढ़ते और अपनी छोटी सी पुस्तकालय का अंग बना लेते. :-)<br />वाकई बहुत ही अच्छा आलेख है.<br />पूर्व और पर दोनों पढ़ रहा हूँ.Rajeev Nandan Dwivedi kahdojihttps://www.blogger.com/profile/13483194695860448024noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-22972487379273622322011-04-15T00:24:32.480+05:302011-04-15T00:24:32.480+05:30:D like:D likeअंकित कुमार पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/02401207097587117827noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-45578379352084342962011-04-12T15:36:37.322+05:302011-04-12T15:36:37.322+05:30ye rochak aur sachchi jaankari prastut karne ke li...ye rochak aur sachchi jaankari prastut karne ke liye aabhaar bhai sahab...<br /><br />kunwar ji,kunwarji'shttps://www.blogger.com/profile/03572872489845150206noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-10446211655420098322011-04-12T00:20:56.987+05:302011-04-12T00:20:56.987+05:30एक उच्च कोटि का आलेख। बहुत सी नई जानकारी मिली। आभा...एक उच्च कोटि का आलेख। बहुत सी नई जानकारी मिली। आभार इस आलेख के लिए।मदन शर्माhttps://www.blogger.com/profile/07083187476096407948noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-26511248110959107982011-04-11T22:59:21.558+05:302011-04-11T22:59:21.558+05:30समय पर सवार, तात्विक और तथ्यपूर्ण जानकारी।
अमित जी...समय पर सवार, तात्विक और तथ्यपूर्ण जानकारी।<br />अमित जी आपका आभार इस प्रस्तुति के लिये।सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-37265687709465516782011-04-11T21:46:18.578+05:302011-04-11T21:46:18.578+05:30सुझाव मानने का एक और बोनस धन्यवाद:)सुझाव मानने का एक और बोनस धन्यवाद:)संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-84515145691800058522011-04-11T21:34:26.051+05:302011-04-11T21:34:26.051+05:30यह दोनों का निष्कर्ष निकालकर ही कैलेन्डर बनाने से ...यह दोनों का निष्कर्ष निकालकर ही कैलेन्डर बनाने से सब त्रुटिहीन है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-38116582247257814342011-04-11T21:25:51.624+05:302011-04-11T21:25:51.624+05:30प्रतुल जी की बात से सहमत कि यह सीरिज एक दस्तावेज क...प्रतुल जी की बात से सहमत कि यह सीरिज एक दस्तावेज के रूप में संजोने लायक है। <br />सुझाव देने में अपन भी आम हिन्दुस्तानियों की तरह माहिर हैं, पिछली पोस्ट का लिंक भी साथ में दे दिया करें।<br />राजुल तक हमारा धन्यवाद पहुँचाया जाये, समझदानी के मामले में ’मो सम’ ही लगा। कोई और होता विद्वान टाईप का तो फ़िर उसे इस भाषा में थोड़े ही समझाना पड़ता कि हमें भी समझ आ जाए।<br />अपनी फ़रमाईश मानने(भारतीय मास विवरण) के लिये एक धन्यवाद खुद भी रख लेना, खोटे सिक्के की तरह कभी काम आ जायेगा।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-687874718573627562011-04-11T12:44:03.657+05:302011-04-11T12:44:03.657+05:30रोचक लगा :
— निहारिका वर्ष जो कि २५ करोड़ वर्ष है....रोचक लगा :<br />— निहारिका वर्ष जो कि २५ करोड़ वर्ष है. इस आंकड़े को लेकर कल्पना उड़ान भरने लगी. सौर्यमंडल से बाहर जाने की कोशिश करने लगी. <br />— त्रुटि का मान इतना सूक्ष्मतम है सोचकर ही अचंभित हो गया. पर आपकी टाइपिंग त्रुटियों का मान बहुत विशालतम कहा जाएगा. <br />अंतिम से पहले अनुच्छेद में ......... पूर्णिमा को चन्द्रमा जी नक्षत्र में होता है वही उस महीने का नाम होताहै।<br />में ......... चंद्रमा जिस नक्षत्र में होता है ........ करें. <br />'की' और 'कि' में भेद बनाए रखें. <br />— तल्लाक्षण की इकाई 10^53 देखकर मन पिद्दा होकर कौने में बैठ गया.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-38679921925121521682011-04-11T12:43:15.439+05:302011-04-11T12:43:15.439+05:30भारतीय काल गणना एकांगी नहीं.
पृथ्वी भ्रमण के कारण...भारतीय काल गणना एकांगी नहीं. <br />पृथ्वी भ्रमण के कारण दिन और रात बने. काल का सूक्ष्मतम पैमाना 'त्रुटि' और विशालतम इकाई 'तल्लाक्षण' भारतीय गणित की उन्नत स्थिति को दर्शाता है.<br />चन्द्र भ्रमण के कारण पूर्णिमा और अमावस्या से पक्ष और मास बने. इस बीच पूर्ण चन्द्र की स्थिति जिस नक्षत्र में पड़ती है उसी आधार पर मास का नामकरण.<br />सूर्य भ्रमण के कारण भारत का षट ऋतु-चक्र बना. सूर्य [पृथ्वी और चन्द्र के सापेक्ष] अपनी यथास्थिति में जब लौट आता है उसी का आधार लेकर बढ़ मास का विधान हुआ. <br />यह काल गणना में संतुलन लाने हेतु किया गया. तीनों की भागीदारी को न नकारना ही भारतीय काल गणना की विशेषता है.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.com