सोमवार, 22 मार्च 2010

यह सब मूर्ति पूजा से किस प्रकार भिन्न है

मैं किसी पे आक्षेप नहीं लगा रहा हूँ . सिर्फ इतना जानना चाह रहा हूँ ,की यह सब मूर्ति पूजा से किस प्रकार भिन्न है

7 टिप्‍पणियां:

  1. आपके ब्लॉग पर आकर अच्छा लगा. सभी आलेख एक से बढाकर एक हैं और अपने-आप में अनूठे हैं. आपके राष्ट्रवादी विचार गर्व का विषय हैं. कृपया इसमे निरंतरता बनाए रखें. मान सरस्वती की अनुकम्पा आप पर बनी रहे.
    आपका यह लेख तो जमालो को जमालघोटा पिला दे ऐसा धाँसू है.

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  2. केवल सनातन वैदिक हिंदू धर्म वास्तव में मूर्ति पूजक नहीं है अन्यथा विश्व के सभी मत मूर्तिपूजक हैं. इस्लाम , क्रिश्चियन आदि सभी चाहें जितना मूर्तिपूजा के विरोध का ढोल पीटें किन्तु सत्य यही है वो भी मूर्तिपूजक ही हैं.
    आज हिंदू सबसे अधिक मूर्तिपूजक हैं और लाखों भगवान के नाम पर मूर्तियां खड़ी की हुई हैं फिर भी वो हिंदू मूर्तिपूजक बाकी मूर्तिपूजक मतों से तो श्रेष्ठ ही हैं.
    बाकी मूर्तिपूजक ऐसे हैं कि उनको तुम जो चाहे विडियो या तस्वीर दिखा दो , जो चाहे तर्क देलो लेकिन वो अपनी बातों पर अडिग रहेंगे बल्कि तुम पर दुगना प्रहार करेंगे इसीलिए इनको कभी तर्क मत दो केवल उल्टा प्रहार करो जब ये थोड़ा खिस्सियाना शुरू करेंगे. अर्थात जैसे को तैसा .

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  3. I DID LIKED THE WAY OF UR WRITING,
    BUT I FELT SOMEWHRERE U R BIASING 1 RELIGION,WHILE TRYING 2 CRITICISE ANOTHER!
    BUT THE BLOG IS STILL INTRESTING!

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  4. main aapke vichro se sahmat hu aapne jo vichar prastut kiye hai vo hindu dharm ko anya dharmo se shresth sabit karta hai un logo par dhikkar hai jo jhuti bato se dharmantran karte hai hindu dharm se shresth dharm koi nahi ho sakta

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जब आपके विचार जानने के लिए टिपण्णी बॉक्स रखा है, तो मैं कौन होता हूँ आपको रोकने और आपके लिखे को मिटाने वाला !!!!! ................ खूब जी भर कर पोस्टों से सहमती,असहमति टिपियायिये :)